में नहीं जानती वो कौन थे और कहाँ से आये थे ,
बस मुलाकात हो गई थी उनसे ज़िन्दगी की राहों में!
उनसे मिलकर ज़िन्दगी खुशनुमा सी हो गई थी,
जी चाहता था गुजार दूँ सारा जीवन उन्ही की पनाहों में!
अब ना रिश्तों की चिंता थी, ना बदनामी का डर था,
हर वक्त रहते थे एक दूजे की निगाहों में!
ज़िन्दगी में कुछ मोड़ ऐसे भी आये, जब रिश्तों की पकड़
ढीली सी पड़ गई थी 1
ना में संभल पाई ना वो संभल पाए,
पर फिर भी हमारी दोस्ती आज सलामत है,
एक दूजे की बाहों में,
में नहीं जानती वो कौन थे और कहाँ से आये थे,
बस मुलाकात हो गई थी उनसे ज़िन्दगी की राहों में!
kyaa baat hai...
ReplyDeletebahut khoob...
jo bhi likha bahut aach tha
ReplyDeleteराहो में उनसे मुलाकात हो गयी....
ReplyDeleteजिससे डरते थे वाही बात हो गयी....
बहुत खूब, बहुत खूब, बहुत खूब।
ReplyDelete---------
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