Saturday, July 10, 2010

वो कौन थे


जब भी कभी सांस लेती हूँ , पाती हूँ उन्हें अपनी हर आँहो में
में नहीं जानती वो कौन थे और कहाँ से आये थे ,
बस मुलाकात हो गई थी उनसे ज़िन्दगी की राहों में!
उनसे मिलकर ज़िन्दगी खुशनुमा सी हो गई थी,
जी चाहता था गुजार दूँ सारा जीवन उन्ही की पनाहों में!
अब ना रिश्तों  की चिंता थी, ना बदनामी  का डर था,
हर वक्त रहते थे एक दूजे की निगाहों में!
ज़िन्दगी में कुछ मोड़ ऐसे भी आये, जब रिश्तों की पकड़
ढीली सी पड़ गई थी 1
ना में संभल पाई ना वो संभल पाए,
पर फिर भी हमारी दोस्ती आज सलामत है, 
एक दूजे की बाहों में,
में नहीं जानती वो कौन थे और कहाँ से आये थे,
बस मुलाकात हो गई थी उनसे ज़िन्दगी की राहों में!
                      

4 comments:

  1. kyaa baat hai...

    bahut khoob...

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  2. राहो में उनसे मुलाकात हो गयी....
    जिससे डरते थे वाही बात हो गयी....

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