रात्रि के मौन मैं चंद बातें सोच कर
कभी कभी दिल मैं यूँ ख्याल आता है
क्यूँ बनाया सूर्य,क्यूँ बनाया चाँद.
क्यूँ बनाई नदियाँ ,क्यूँ बनाया आसमान
क्या जरुरत पहाड़ों की थी,
क्या जरुरत सितारों की थी!
फिर अंत में थक कर यूँ दिल मेरा कहता है
जरुरत नहीं थी इंसा की भी शायद
फिर यह सब बातें पूछने वाली आखिर
हूँ कौन में...............?